• Tue. Jun 17th, 2025

मार निहत्थे लोगों को तुम, ताकत अपनी दिखलाते हो।

ByMukesh Kumar Kashyap

Apr 28, 2025

मार निहत्थे लोगों को तुम, ताकत अपनी दिखलाते हो।
दीनोईमान के नाम पर, नादानों को बहकाते हो ।।

बीज नफरतों के बोते हो, मानवता चढ़ती बलि-वेदी।
छुपकर अपनों पर घात किए,लंका ढाए घर के भेदी।
बचपना छीन कर बच्चों का,असला बंदूक थमाते हो ।।
मार निहत्थे लोगों को तुम, ताकत अपनी दिखलाते हो।।

भ्रष्टाचारी शीश उठाए, जयकार करे अन्यायी का।
न्याय धर्म के मंदिर दूषित, व्यवहार करें व्यवसायी का ।।
चरण वंदना स्वार्थ साधने,धन बल को बाप बनाते हो ।।
मार निहत्थे लोगों को तुम, ताकत अपनी दिखलाते हो।।

हिंसा नहीं सिखाता कोई, हर धर्म सिखाता समरसता।
पहचान यही इंसानों की, सहयोग दया करुणा ममता।
जाति वर्ग में बाँट सभी को , वैमनस्यता फैलाते हो ।।
मार निहत्थे लोगों को तुम, ताकत अपनी दिखलाते हो।

डॉ दीक्षा चौबे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *