पति-पत्नी के रिश्ते में खटास आने के बाद कोर्ट कचहरी तक मामला पहुंचना कोई नई बात नहीं है, लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक बेहद अहम टिप्पणी की है, जो ऐसे हजारों मामलों के लिए मिसाल बन सकती है. मामला था धारा 498A (दहेज प्रताड़ना) के तहत दर्ज एक केस का, जिसमें पत्नी ने अपने पति, सास और ससुर पर मानसिक प्रताड़ना और पैसे की मांग का आरोप लगाया था. लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की तह तक जाकर देखा, तो उन्हें सच्चाई कुछ और ही नजर आई. तलाक की नोटिस के 3 दिन बाद ही पत्नी ने दर्ज कराई FIR! मामला गुजरात का है, जहां 2005 में शादी करने वाले एक दंपति के बीच 2020 में तलाक की प्रक्रिया शुरू हुई. जैसे ही पति की ओर से तलाक का समन पत्नी को मिला, महज 3 दिन के भीतर पत्नी ने FIR दर्ज करा दी – जिसमें न सिर्फ पति पर, बल्कि सास-ससुर पर भी गंभीर आरोप लगाए गए
मगर जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तो न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और मनमोहन की पीठ ने इस पर कड़ा रुख अपनाया और साफ कहा कि “ऐसे मामलों में कोर्ट को बेहद सावधानी बरतनी चाहिए, खासकर जब शादी को कई साल बीत चुके हों और आरोप तलाक की कार्रवाई शुरू होने के बाद लगाए गए हों.” “कुछ ताने-तकरार तो हर घर की कहानी होती है” सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल “कुछ तानों” के आधार पर पूरे परिवार को कोर्ट में घसीटना ठीक नहीं, क्योंकि ये हर घर में आम बात है और परिवार की खुशी के लिए अक्सर इन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता
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