गोरखपुर। गोरखपुर लोकसभा सीट से इस बार एक अनोखा प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरने जा रहा है। नामांकन से पहले ही उसने अपना चुनाव कार्यालय राप्ती नदी तट पर, शमशान घाट पर खोल दिया है। राजन यादव उर्फ अर्थी बाबा के नाम से यह शख्स पिछले दो दशक से गोरखपुर से लेकर दिल्ली और कई अन्य क्षेत्रों में भी अपनी पहचान, संघर्षों और आन्दोलन से बनाता रहा है। एमबीए इंटरनेशनल मार्केटिंग की डिग्री लेने के बाद भी किसी नौकरी से ना जुड़कर, सामाजिक परिवर्तन करने के उद्देश्य से लगातार राजनीतिक मंच का सहारा लेकर, आंदोलन करने वाला यह अर्थी बाबा अभी तक कई चुनाव भी लड़ चुका है। लेकिन उसे किसी चुनाव में सफलता नहीं मिली है।
उसका कहना है कि शमशान घाट ही उसका कार्यालय होगा। यहां आने वाले लोगों से एक-एक रुपए सहयोग लेकर ही वह अपने चुनाव का खर्च चलाएगा। जो आत्माएं होगी वही उसकी एजेंट होंगी। गोरखपुर की धरती पर कोई बाहरी और नाचने गाने वाले लोग चुनाव लड़कर जीते यह गोरखपुर के लिए ठीक नहीं है। यहां उस व्यक्ति को चुनाव लड़ना चाहिए, जीतना चाहिए जो यहां की समस्याओं के बारे में जानता हो। मुझे भले भी अभी तक गोरखपुर की जनता ने जीत नहीं दिलाया लेकिन, शमशान घाट से मैंने कई आंदोलन किया। जिसका नतीजा है कि गोरखपुर में एम्स बना, फर्टिलाइजर का खाद कारखाना खुला, राप्ती नदी तट पर बढ़िया घाट बना, अन्य कई काम उनके आंदोलन की देन है। जिसे योगी आदित्यनाथ भी बतौर सांसद देखते रहे हैं। जब वह मुख्यमंत्री बन गए तो उनसे हमने जो प्रस्ताव रखा उसको उन्होंने मना भी। और तमाम कार्य दिखाई दे रहे हैं।
राजन यादव कहते हैं कि मौजूदा समय में लोकतंत्र की हत्या हो रही है। लोकतंत्र की अर्थी निकल रही है। ऐसे में अगर वह शमशान घाट पर लोकसभा का कार्यालय खोलते हैं और अर्थी पर बैठकर अपना नामांकन करने जाते है तो, इसमें कुछ भी गलत नहीं है। क्योंकि जब लोकतंत्र का जनाजा निकल रहा है तो संसद में पहुंचने वाले लोग भी, इस जनाजे पर सवार होकर नामांकन करें इसमें क्या बुराई है। मैंने इसीलिए आज तक शादी ब्याह नहीं किया क्योंकि, देश ही राजनीति और लोकतंत्र को बचाने के लिए जैसे तमाम नेता बिना शादी विवाह के जुटे हैं, वैसे मैं भी जुटा हूं। मैं भगवान बुद्ध की शरण में भी जा चुका हूं। भंते कि मैंने दीक्षा ले रखी है। इस देश का तभी कल्याण होगा जब सभी लोग बुद्ध के शरण में आ जाएं। अखिलेश, राहुल गांधी और तेजस्वी यादव तब तक अपनी राजनीति में सफल नहीं हो पाएंगे जब तक वह बुद्ध की शरण में नहीं आएंगे। बुद्ध की शरण में आने के बाद ही वह कोई परिवर्तन लाने में सफल हो पाएंगे।
राजन यादव केजरीवाल के ऊपर भी जमकर निशाना साधता है। वह कहता है कि अन्ना आंदोलन में वह केजरीवाल के साथ थे। अन्ना हजारे के साथ थे। उनकी भी गिरफ्तारी की गई थी। उन्हें भी तिहाड़ जेल भेजा जा रहा था। लेकिन दिल्ली के सीपी ने उन्हें दिल्ली से उठाकर गोरखपुर भेज दिया। नहीं तो आज दिल्ली की राजनीति में राजन यादव अर्थी बाबा का अलग नाम होता। केजरीवाल ने लोगों के साथ धोखा किया है। वह बड़े लोगों का नेता है। दलित, पिछड़े, कमजोर वर्ग से उसको कुछ लेना देना नहीं। इसीलिए बुद्ध की शरण में आने वाले उसकी टीम के लोग, आने वाले दिल्ली विधानसभा के में 70 की 70 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और जीते दर्ज करते हुए, केजरीवाल को दिल्ली की सत्ता से बाहर करेंगे। मैं भी वहां से चुनाव लड़ूंगा और हर हाल में जीत कर दिखाऊंगा।
