सफलता संघर्ष मांगती है, पुष्पेंद्र इस बात का जीता जागता उदाहरण है। पुष्पेंद्र के पिता एक बस चालक है। एक बस चालक का बेटा अपनी कड़ी मेहनत से सिविल जज बना जिसके बाद माता-पिता परिवार और इलाके में खुशी का माहौल है। बचपन से ही जज बनने के सपने को साकार करने के लिए उन्होंने एपीओ यानी सहायक अभियोजन अधिकारी के पद को भी त्याग दिया और फिर अपनी मेहनत से जज बने।
बचपन से था जज बनने का सपना
बुलंदशहर के जहांगीराबाद के पुष्पेंद्र ने अपने माता-पिता और शहर का नाम रोशन किया है। दरअसल पुष्पेंद्र ने सिविल जज जूनियर डिवीजन की परीक्षा पास कर ली है और वह जज बन गए हैं। पुष्पेंद्र के पिता एक बस चालक है जो फिलहाल इलाहाबाद में परिवार के साथ रहते हैं हालांकि वह जहांगीराबाद के मोहल्ला अंबेडकर नगर के मूल निवासी हैं। पिता दुर्गा प्रसाद बेटे के जज बनने के बाद से ही काफी खुश है। पिता ने बताया कि उनके तीन बेटे हैं जिसमें एक बेटा बुलंदशहर कोर्ट में पेशकार है, बाकी दो तैयारी कर रहे थे। छोटा बेटा रोहित यूपीएससी की तैयारी कर रहा है जबकि पुष्पेंद्र जज बनना चाहता था और उसकी कड़ी मेहनत अब रंग लेकर आई है। पुष्पेंद्र कुमार गौतम का 2 महीने पहले एपीओ यानी सहायक अभियोजन अधिकारी के पद पर चयन हुआ था लेकिन क्योंकि वह जज बनना चाहते थे इसलिए उन्होंने ज्वाइन नहीं किया था और तभी से अपनी तैयारी दुगनी कर चुके थे और अब वह जज बन गए हैं। पुष्पेंद्र मध्य वर्गीय परिवार से आते हैं और यह उनके लिए, परिवार के लिए बहुत बड़ी सफलता है।
संघर्ष से सफलता का उदाहरण
पुष्पेंद्र ने प्रारंभिक शिक्षा बुलंदशहर के जहांगीराबाद से ही की थी। इसके बाद वह इलाहाबाद में रहकर पढ़ाई कर रहे थे। 12वीं कक्षा के बाद 2013 में कानपुर यूनिवर्सिटी से उन्होंने बी ए किया और 2016 में एलएलबी। पुष्पेंद्र का कहना है कि उनकी पूरी सफलता का श्री माता-पिता भाई-बहन और अन्य परिवार के लोगों को जाता है। पुष्पेंद्र की यह सफलता जहां एक बस चालक का बेटा अपनी मेहनत से जज बना है संघर्ष से सफलता तक का एक बेहतरीन उदाहरण है।
