दिल्ली से सटे गाजियाबाद के मुरादनगर में एक ऐसा गांव जहां रक्षाबंधन नहीं मनाई जाती जहां एक तरफ पूरा देश रक्षाबंधन का त्योहार मानता है वही गाजियाबाद मुरादनगर का एक गांव है सुराना जहां रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाता बल्कि उसे दिन काला दिवस के रूप मनाया जाता है आपको बता दे गाजियाबाद से
30 किलोमीटर दूर स्थित मुरादनगर में एक गांव है सुराना
यहां 12वीं सदी से ही लोग रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाते अगर मनाते हैं तो बड़ी अनहोनी हो जाती है जिसके डर से लोग रक्षाबंधन नहीं मानते वही इस गांव की लड़कियां रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाती. गांव के लोग यदि कहीं दूसरी जगह भी जाकर बस जाते हैं तो वह भी रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाते हैं. गांव के लोग इस दिन को काला दिन के रूप मे मानते हैं.
वही मुरादनगर के गांव के लोगों के मुताबिक 12वीं सदी में मोहम्मद गौरी ने गांव पर आक्रमण कर दिया था और गांव के लोगों को हाथी के पैरों तले कुचलवा दिया था जिसमें काफी संख्या में लोग मारे गए थे!
उसी दिन से यहां रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाता बताया यह भी जाता है सुराना गांव पहले सोनगढ़ के नाम से जाना जाता था वही एक गांव में टीला है जहां हाथियों के पैरों तले लोगों को कुचलवा दिया था मोहम्मद गोरी ने !
जब लोगों से हमने इस विषय में बात की तो लोगों ने इस घटना को सत्य बताया !
फिलहाल 12वीं सदी से अब तक सुराना गांव मे रक्षाबंधन नहीं मनाया जा रहा और वही लोगों का कहना अगर कोई रक्षाबंधन मानता है तो उसके साथ अनहोनी घटना घट जाती है रक्षाबंधन के दिन यहां भाइयों की कलाइयां सुनी रहती हैं और पूरा गांव रक्षाबंधन के दिन काला दिवस के रूप मे मनाता है!
