काशी विद्वत परिषद के मार्गदर्शन में होगा श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा, राम विवाह की तर्ज पर प्राणप्रतिष्ठा के अवसर पर भी बुलाए गएं सभी देवी देवता, बाबा विश्वनाथ को विशेष आमंत्रण!श्री रामलला के मूर्ति के नीचे नवरत्न रख होगी विशेष पूजा, नवग्रहो को लेकर भी विधि विधान से होगा विशेष अनुष्ठान, विद्वत परिषद के 21 आचार्य तीन दिन तक चलने वाले इस अनुष्ठान को पूरा कराएंगे, पीएम मोदी होंगे प्राण प्रतिष्ठा के यजमान
अयोध्या में होने जा रहे श्री राम लला की प्राणप्रतिष्ठा की पूजा पद्धति काशी विद्वत परिषद के मार्गदर्शन में सम्पन्न होगी.
काशी के आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित के निर्देश में काशी के 21 आचार्य पूरे विधि -विधान के साथ 20 जनवरी से 22 जनवरी तक चलने वाले प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ को सम्पन्न कराएंगे.साथ ही काशी विद्वत परिषद के आठ विद्वान साक्षी के रूप में वहां उपस्थित होंगे.काशी विद्वत परिषद के गणेश शास्त्री द्रविड़ के निर्देश में धार्मिक अनुष्ठान पूर्ण कराए जाएंगे.
भगवान राम के जन्म के समय के जो मृगशिरा मुहूर्त था उसी मुहूर्त में 22 जनवरी को प्राणप्रतिष्ठा की विशेष पूजा और आरती पीएम मोदी के हाथों होगी.पीएम मोदी प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के यजमान होंगे.
श्री राम लला की प्रतिमा के नीचे नवरत्न पूजन से लेकर नवग्रह की पूजा की विधि भी काशी विद्वत परिषद के मार्गदर्शन में पूर्ण कराई जाएगी.हीरा, पन्ना, नीलम, पुखराज जैसे बहुमूल्य नवरत्न की विशेष पूजा होगी. नवग्रहो की भी विशेष पूजा होगी और ये सभी अनुष्ठान काशी विद्वत परिषद के आचार्य गणेश शास्त्री द्रविड़ की देख रेख में सम्पन्न होगी. प्राणप्रतिष्ठा की मुख्य पूजा में यजमान पीएम मोदी होंगे और उन्हीं के हाथों मुख्य आरती भी होगी.
भगवान श्रीराम के आराध्य बाबा विश्वनाथ को विशेष आमंत्रण दिया जाएगा. काशी विद्वत परिषद का शिष्टमंडल श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर जाकर पीले अक्षत के साथ निमंत्रण पत्र बाबा के गर्भगृह में चढ़ाएंगे. बाबा विश्वनाथ के साथ साथ अष्ठ भैरव, नव दुर्गा सहित सभी छप्पन विनायक को भी विशेष निमंत्रण दिया जाएगा.सामजिक सौहार्द और उत्तर दक्षिण के एकीकरण का भी सन्देश देगा प्राण प्रतिष्ठा समारोह….श्रीराम लला के प्राणप्रतिष्ठा समारोह में ट्रस्ट सदस्य की हैसियत से कामेश्वर चौपाल चार न्यासियों के साथ मौजूद रहेंगे. देश के सभी प्रमुख मंदिरों और मठों के प्रमुख इस समारोह में मौजूद रहेंगे. दक्षिण भारत के सभी प्रमुख मठों के प्रमुख (अधीरम )भी विशेष तौर पर बुलाए गए हैं. इस समारोह से सामाजिक सौहार्द और एकीकरण का सन्देश भी दिया जाएगा.
500 साल के बाद अयोध्या में अनगिनत लोगों के बलिदान और त्याग के बाद भगवान श्री राम के मंदिर का निर्माण हो रहा है. इस अवसर का उपयोग वैश्विक बनाने और सामाजिक – सांस्कृतिक एकीकरण के तौर पर किया जा रहा है.
